रतलाम में किसान द्वारा की जा रही मोती बनाने की खेती, भारतीय और जापानी मोती का बड़ी मात्रा में किया जा रहा उत्पादन

Pearl Farming is being done by Farmers in Ratlam Madhya Pradesh, Indian and Japanese Pearls are being Produced in large Quantities.
रतलाम।  मोती की खेती देश के साथ साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ती जा रही है. मोती की खेती से लाभ होता दे किसान इसकी खेती में दिलचस्पी दिखाने लगे हैं. ऐसा ही कुछ रतलाम जिले के जावरा स्थित ग्राम नौलखा में देखने को मिला है जहां एक किसान ने मोदी की खेती शुरू की है. प्रदेश का किसान खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए आजकल नए-नए प्रयास कर रहा है, जिससे अधिक मुनाफा कमाया जा सके. रतलाम में एक किसान ने अजीब तरह की खेती कर सभी को चौंका दिया। यहाँ पर किसान द्वारा कीमती मोती जिसे हर कोई पसंद करता है, इसकी खेती की जा रही है।  सीप के मोती जो कि अक्सर समुद्री इलाकों में पाए जाते हैं, उसे यह किसान अपने खेत में बना रहा है, मोती की खेती अगर रफ्तार पकड़ ले तो यह किसानों को लाखों का मुनाफा दे सकती है, बस रख-रखाव में कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. इसमें कम लागत में किसानों को तगड़ा मुनाफा हो सकता है,अगर वह सही तरीके से ट्रेनिंग के बाद ही काम शुरू करें तो. एक किसान है अन्नदाता है वह गेहूं की खेती करता है , साथ ही कोई हर प्रकार के अलग-अलग प्रकार के जो उपज होती है उसका उत्पादन करता है.  बाजार में भी है भोलेनाथ का हुआ शिवजी युवा लक्ष्मी माता हुआ गणेश जी को कृष्ण का यह हुआ इस टाइप से अलग-अलग महिला अधिकतर कान के अंदर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी है।  
Ratlam News- Pearl farming is being done by farmers in Ratlam, Indian and Japanese pearls are being produced in large quantities
Pearl Farming is being done by farmers in Ratlam, Indian and Japanese pearls are being produced.


    
 मोती की खेती से लाभ होता देख , किसान इसकी खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसे बाजार में बेचकर किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं,  और एक बहुत अनोखे प्रयोग की समीक्षा में मोतियों की खेती बहुत अच्छी खेती है, मोती की खेती नाम सुनकर लगता है  इसमें मछली पालन जैसा कुछ होगा लेकिन वैसा नहीं है,  यह बहुत अलग और  सरल काम है. एक-एक प्रक्रिया अच्छी तरह से की जाती है. मोती लगभग 1 साल में बनता है। इस कार्य में आप जिस भी शेप में मोती बनाना चाहते है बना सकते है.  इसमें एक सांचे के अंदर और एक साल में नेचरली मोती बन जाता है इसमें सांचे के अंदर जिस ही आकृति को रखेगे उसी आकृति में आपको मोती प्राप्त होगा जैसे की आपने कोई देवता का फोटो रख दिया या कुछ और आकृति रखी है,  उसी के हिसाब से लेयर्स के ऊपर बनके फाइनली हमे मोती प्राप्त होता है।  

 मोती की खेती का यह स्थान रतलाम जिले में पिपलोदा तहसील के नौलखा गांव में स्थित है,  यहां पर मोती अलग-अलग तरह की बनाए जाते हैं और लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दी जाती है यहां पर भारतीय मोती और जापानी मोती भी बनाए जाते हैं जिस प्रकार भारत में बढ़ रही मोती की डिमांड को लेकर बाहर विदेशों से मोती मंगवाया जाता है इसी कमी को धीरे-धीरे अपने भारत देश में मोती के कई सेंटर लग रहे हैं जैसे बाहर से आने वाला मोती के बाजार में अपने भारत का ही मोती देखेगा। इससे राष्ट्र में होने वाले आयात पर भी कमी होगी इसी के साथ युवाओं के लिए यह बहुत अच्छा अवसर है,  जिससे वह अपना रोजगार भी प्राप्त कर सकते हैं और मोती की खेती से एक मोटी रकम भी प्राप्त कर सकते हैं.  नायाक मोती उत्पादन संस्था के प्रमुख दिलीप जगदेव इसकी ट्रेनिंग अपने छोटे से गांव नौलखा में दे रहे हैं और यहां पर पूरे भारत के सभी राज्यों से यहां लोग ट्रेनिंग के लिए आ रहे हैं। 

Ratlam News-  रतलाम में किसान द्वारा की जा रही मोती बनाने की खेती, भारतीय और जापानी मोती का बड़ी मात्रा में किया जा रहा उत्पादन


     मोती की खेती देखने महाराष्ट्र से आये एक व्यक्ति ने बताया की यहाँ आने का उनका अनोखा एक्सपीरियंस रहा है,  और यहां से बहुत बढ़िया जानकारी मिली है,  कि गांव में भी एक खेती करने वाले लोग एक नया कुछ कॉन्सेप्ट लेकर मोती की खेती कर सकते है।   मेरे मायने में बेरोजगारी दिमाग की बीमारी है रोजगार हर आदमी अपना ढूंढ सकता है उसके लिए कोई नौकरी की जरूरत नहीं है।  हमारे मोदी जी जो कहते हैं कि जो एक बार उन्होंने कहा कि खेती  वाला भी लाखों रुपए कमाता है , जिसका की एक्चुअल उदाहरण है ये है।   कि मेरे ख्याल से जो 40- 50 बीघा में जो यह खेती करते हैं ,उनके लिए ये फायदे का ही सौदा है , इस कार्य में कोई मानसून की ओर डिपेंडेंट नहीं है कोई खाद के ऊपर डिपेंडेंट नहीं है, मजदूरी लागत में काम हो जाता है और यहां सबसे बड़ी बात यह है की  है 80% इंडिया का जो मार्केट है वह इंपोर्ट के ऊपर चलता है तो डोमेस्टिक प्रोडक्शन के लिए और व्यावहारिक रूप से देखा जाए बहुत बढ़िया रिटर्न और इन्वेस्टमेंट भी देता है।  मैंने इन्हे महाराष्ट्र भी आमंत्रित किया है की वहां भी आकर हमारे किसानो को इस खेती के बारे में बताकर उसनहे भी इसके लिए प्रोत्साहित करे।  
जानकारी देते हुए नायक पर्ल फार्मिंग के दिलीप जगदेव नायक ने बताया की मोती फार्मिंग करने के लिए दो दिन का प्रशिक्षण शनिवार और रविवार दिनांक 23 और 24 दिसम्बर 2023 को है,  जिन्हें सहभाग होना हैं वह हमसे संपर्क कर सकते है , यह प्रशिक्षण सुबह 9 से शाम 5:30 बजे तक रहेगा। शिप की जानकारी और रख रखाव ,ऑपरेशन से नुकलस डालना, पानी की जानकारी ,ऊपकरन सम्बन्धी जानकारी सहित सम्पूर्ण जानकारी ओर मार्केटिंग करना सभी बाते प्रशिक्षण में बताई जाएगी। इस प्रशिक्षण की फीस 4000 रुपये है।  
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